सोशल मीडिया हमें कहां से कहां ले आया

हम 21वीं सदी में रह रहे हैं। समय तेजी से बदल रहा है। करीब दस वर्ष पहले बदलाव की यह स्थिति न थी। बदलाव तो हो रहा था। लेकिन उसकी गति धीमी थी। लोग एक दूसरे को वक्त दिया करते थे। वो भी आमने सामने होकर। मित्रों, सगे संबंधियों से मिलकर। उनसे बातें किया करते थे। हंसी मजाक का आनंद लिया करते थे। लोग नन्हे मुन्नों के साथ ज्यादा वक्त बिताया करते थे। उन्हें खिलाने का बेशकीमती आनंद लेते थे। वैसे भी नन्हे मुन्नों को खिलाने का जो लुत्फ है, शायद ही किसी दूसरी चीज या बात में मिलती हो। वहीं, मनोरंजन के लिए भी हम कई खेल खेलते या कहीं घूमने फिरने जाया करते थे। छुट्टियों का अलग ही महत्व था। जबसे इंटरनेट क्रांति आई है। और पिछले कुछ सालों के दौरान डाटा बेहद सस्ता हो गए हैं। ऐसे में समय बड़ा तेजी से बदल रहा है।
हम अपने आसपास की हर चीज को बदलते हुए देख रहे हैं। इस बदलाव की रफ्तार बहुत ही तेज है। मित्र हों या सगे संबंधी हमारे बीच का व्यवहार सोशल मीडिया तक सीमित होते हुए दिखाई दे रहा है। स्थिति ऐसी हो गई है कि हम सोशल मीडिया (Social Media) पर जरूरत से ज्यादा समय बिता रहे हैं। कुछ हद तक तो इसका लाभ है, लेकिन जब यह आदत बन जाए और इसके बिना आपका दिन न गुजरे तो यह एक सिरदर्द भी साबित हो सकता है। इस पोस्ट में इसी विषय पर फोकस करेंगे। अब हम कहां से कहां पहुंच गए हैं। जिसका जिम्मेदार शायद सोशल मीडिया ही है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि इसका सदुपयोग कर हम अपने समय को बचाकर कुछ बेहतर कार्य नहीं कर सकते हैं।


इंटरनेट पर नया कैलकुलेटर!
सोशल मीडिया अब ज्यादातर युवाओं के दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। इसका हमारी आदतों पर गहरा प्रभाव भी पड़ रहा है। जितना समय सोशल मीडिया को दिया जा रहा है, उतना समय हम किताबों (Books) को देते तो क्या होता? जवाब यही है कि आप साल भर में डेढ़ सौ से ज्यादा पुस्तकें पढ़ लेते। यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन ये सच है। इंटरनेट पर एक नया कैलकुलेर उपलब्ध है। जो ओमनी कैलकुलेर (Omni Calculator) की ओर से जारी किया गया है।

इस कैलकुलेटर में इस संबंध में जान सकते हैं। इसकी मदद से हम जान सकते हैं कि हम एक साल के दौरान जितना समय सोशल मीडिया को देते हैं, उतने समय में हम कितनी किताबें आसानी से पढ़ सकते हैं। यह एक संकेतक और चेतावनी के रूप में काफी कारगर है। क्योंकि अब हम सोशल मीडिया पर बहुत सारा वक्त गंवा देते हैं। जबकि इस वक्त का सदुपयोग करें तो लगतार हमसे दूर होती जा रहीं किताबों को पढ़ने का एक बेहतर अवसर और समय मिलता। 

कितनी किताबें पढ़ सकते हैं?
इंटरनेट पर मौजूद कैलकुलेर की मदद से हम दिन, घंटे एवं मिनट के अनुसार सोशल मीडिया को दिए जाने वाले वक्त में कितनी पुस्तकें पढ़ सकते हैं, इसकी गणना कर सकते हैं। इसके तहत एक पुस्तक में औसतन 240 पन्ने होते हैं और एक पन्ने में 250 शब्द। पढ़ने की गति सामान्यतः 200 शब्द प्रति मिनट या 1.25 मिनट प्रति पन्ना होता है। फार्मूले से कैलकुलेर की सहायता से यह अंदाजा लगा सकते हैं कि हम कितनी किताबें एक साल/महीने/सप्ताह में पढ़ सकते हैं।

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यह हमें सोशल मीडिया पर हमारे द्वारा दिए जा रहे जरूरत से ज्यादा वक्त के बारे में चेताता भी देता है। हम सोशल मीडिया को कम समय देकर कुछ पुस्तकें पढ़ लें तो हर्ज ही क्या है? इससे फायदा ही होगा। लगातार मोबाइल चलाने से होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है। पुस्तकों को पढ़ने से जो ज्ञान मिलेगा वह अलग ही महत्व रखता है। क्योंकि वर्तमान में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, ट्रोल्स की भरमार रहती है। इनसे बचा भी जा सकता है।  

आदतों को भी बदल रहा
सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा उपयोग हमें किताबों से दूर कर रहा है। हमारी आदतों को भी बदल रहा है। किताबें पढ़ना हमारे लिए महत्व रखता है। पहले हम मनोरंजन के लिए भी पुस्तकें पढ़ा करते थे। चाहे वो कोई कहानी की किताब हो या फिर कोई कामिक्स। लेकिन जबसे इंटरनेट का बोलबाला हुआ है। हम धीरे धीरे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। इसकी रफ्तार लगातार बढ़ रही है। ऐसे में हम कई दफा फेक न्यूज की चपेट में भी आ जाते हैं। जो कि नहीं होना चाहिए। वहीं, पुस्तकों के साथ ऐसा नहीं होता है।

अच्छी किताबें अच्छा ज्ञान देती है। लेकिन सोशल मीडिया के लिए ऐसा कहना थोड़ा मुश्किल है। अपने आसपास मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है, जो इन्हीं सोशल मीडिया से प्राप्त किए गए गलत ज्ञान को सही मानते हुए बहस तक कर लेते हैं। जबकि हकीकत में न तो उनका कोई सही अस्तित्व होता है न ही कोई इतिहास। सोशल मीडिया का उपयोग हमें सावधानी बरतते हुए और जागरूक होकर करना चाहिए। इसमें कोई हर्ज नहीं। लेकिन जब ऐसा नहीं करते हैं तो यह परेशानी का सबब भी बन सकता है।  
2.4 घंटे सोशल मीडिया पर
सोशल मीडिया ने देश में बड़ी तेजी से विकास किया। लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता में दिनबदिन इजाफा होता जा रहा है। जिसकी गति अभी भी बहुत तेज है। देश भर में पिछले कुछ सालों के दौरान ही इसमें तेजी आई है। और अब हम सोशल मीडिया के उपयोग के मामले में विश्व स्तर पर पहुंच चुके हैं। ग्लोबल वेब इंडेक्स (Global Web Index) की ओर से जारी की गई ग्लोबल वेब इंडेक्स सोशल मीडिया ट्रेंड्स 2019 रिपोर्ट (Global Web Index's Social Media Trends 2019 report) में इस संबंध में अहम जानकारी दी गई है। इसके तहत दुनिया भर में प्रत्येक यूजर दिनभर में औसतन 2.5 घंटे का वक्त सोशल मीडिया को दे रहा है।

क्या आपको भारत (India) के बारे में इस संबंध में कोई जानकारी है? आपको बता देते हैं कि ताजा रिपोट्र्स के मुताबिक देश में प्रत्येक यूजर दिनभर में औसतन 2.4 घंटे का समय सोशल मीडिया को दे रहा है। इस मामले में फिलीपींस (Philippines) सबसे आगे है। फिलीपींस में प्रत्येक यूजर दिनभर में औसतन 4 घंटे का समय सिर्फ सोशल मीडिया को दे रहा है। वहीं, जापान में ठीक इसके उलट है। जापान (Japan) के यूजर दिनभर में औसतन 45 मिनट का समय सोशल मीडिया के लिए निकालते हैं। अब मत पूछिएगा कि जापान इतना विकसित क्यों है। वैसे भी दुनिया भर में सबसे ज्यादा काम करने के मामले में जापान के लोग सबसे शीर्ष वरीयता रखते हैं। 

शोशल मीडिया पर रोजाना यूजर्स द्वारा दिया गया समय
ग्लोबल स्तर         2.5 घंटा/दिन 
इंडिया         2.4 घंटा/दिन
फिलीपीन्स (सबसे ज्यादा) 4.0 घंटा/दिन
जापान (सबसे कम) 45 मिनट/दिन
(स्रोत-ग्लोबल वेब इंडेक्स सोशल मीडिया ट्रेंड्स 2019 रिपोर्ट)






3.30 घंटा ट्रेडिशनल मीडिया को
देश में ट्रेडिशनल मीडिया (Traditional media) अर्थात टीवी, रेडियो, अखबार या मैगजीन के लिए यहां के लोग (18 साल से अधिक) दिनभर में कितना समय देते हैं? ई मार्केटर (emarketer) की ओर से इस संबंध में टाइम स्पेंट विद मीडिया 2019 रिपोर्ट (Time spent with media 2019) जारी की गई है। इसके मुताबिक ट्रेडिशनल मीडिया के लिए हम लोग दिनभर में औसतन 3 घंटा 30 मिनट का समय दे रहे हैं। जो कि सभी प्रकार की मीडिया (टे्रडिशनल और डिजिटल मीडिया) को दिए गए कुल वक्त का लगभग 70.1 प्रतिशत हिस्सा है।

इसी तरह डिजिटिल मीडिया (Digital media) (मोबाइल, टेबलेट, डेस्कटाप, लैपटाॅप) भी अब पीछे नहीं रह गए हैं। इसके लिए हम दिनभर में औसतन 1 घंटा 29 मिनट का समय दे रहे हैं। डिजिटल मीडिया का विकास तेजी से हो रहा है। इसकी लोकप्रियता आने वाले समय में और बढ़ेगी। वर्तमान में डाटा सस्ता होना, मोबाइल की कम कीमत, और स्मार्टफोन्स का उपयोग करने वालों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी इसके मुख्य कारण हैं। अब मोबाइल का उपयोग करने वाले लोगों में ज्यादातर के पास स्मार्ट फोन्स होते हैं। जो लोग अबतक इनसे थोड़़ा हिचकते थे, अब वे भी इनका बढ़चढ़ कर उपयोग कर रहे हैं। इससे डिजिटल मीडिया का दायरा बढ़ा है।

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टीवीे को सबसे ज्यादा वक्त
ई मार्केटर की रिपोर्ट के अनुसार मीडिया के लिए दिए जा रहे वक्त के मामले में टीवी (Television) अभी भी देश में पहले नंबर पर आता है। यहां प्रतिदिन एक उपभोक्ता  (18 साल से अधिक) औसतन 2 घंटा 55 मिनट का समय टेलीविजन देखने में गुजारता है। जो कि सभी मीडिया के लिए दिए गए समय का लगभग 58.7 प्रतिशत होता है। इसकी तुलना हम मोबाइल से करें तो देश में प्रत्येक यूजर रोजाना 1 घंटा 12 मिनट आनलाइन रहता है। इसमें 76.5 प्रतिशत यूजर मोबाइल पर आनलाइन रहते हैं। अब हम मीडिया या शोशल मीडिया को अपने द्वारा दिए जा रहे समय का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। इस संबंध में हम रेडियो, अखबार, मैगजीन की स्थिति को भी जानने का प्रयास करते हैं। इसके लिए हम दिनभर में सभी मीडिया को दिए जाने वाले समय की तुलना में कितना वक्त दे रहे हैं। और इनकी क्या स्थिति है। 

सबसे कम समय मैग्जीन्स को
अब जरा ई मार्केटर की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में प्रिंट मीडिया (Print Media) के माध्यमों को देश में प्रत्येक उपभोक्ता (18 साल से अधिक) द्वारा दिए जा रहे समय पर गौर करते हैं। टीवी और डिजिटल मीडिया से तुलना करने पर अब यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ लगता है। देश में रोजाना एक उपभोक्ता द्वारा प्रिंट मीडिया को दिया जा रहा समय सभी मीडिया को दिए जा रहे वक्त का 6.2 प्रतिशत ही है। इसमें न्यूज पेपर (News Paper) का प्रतिशत 5.7 प्रतिशत है, जबकि मैगजीन (Magazines) को दिए जा रहे समय का प्रतिशत 0.4 शामिल है। रेडियो (Radio) की स्थिति भी सभी मीडिया को दिए जा रहे समय की तुलना में पिछड़ा हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन सभी मीडिया को दिए जा रहे वक्त का 5.3 प्रतिशत समय रेडियो के लिए दे रहा है। गौरतलब है कि सभी मीडिया को प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति की ओर से दिया जाने वाला औसत समय लगभग 4 घंटा और 59 मिनट है। 

मीडिया के साथ बिताए औसत समय का हिस्सा 
(कुल समय का प्रतिशत)
टीवी         58.7
डिजिटल 29.9
प्रिंट         06.2
रेडियो 05.3
कुल समय 4.59 घंटा
(स्रोत- ई मार्केटर की टाइम स्पेंट विथ मीडिया 2019 रिपोर्ट)






इधर...फेक न्यूज चिंता की बात
वहीं, सोशल मीडिया से जहां एक तरफ हम अपने करीबियों, मित्रों आदि के साथ एक मंच साझा कर लते हैं। देश और दुनिया भर की स्थितियों से अवगत होने के साथ साथ उनपर अपने विचार भी व्यक्त कर लेते हैं। सकारात्मक रूप से इनका उपययोग ठीक है। लेकिन दूसरी तरफ सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी लगातार बढ़ता जा रहा है। हम इसका जरूरत से ज्यादा इस्तमाल कर अपना कीमती वक्त तो खो ही रहे हैं। साथ ही कई दफा फेक न्यूज और भड़काउ पोस्ट की जद में भी आ जाने की आशंका हमेशा बनी ही रहती है। वर्तमान में बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया को इसके लिए हथियार की तरह उपयोग किया जाने लगा है। जो कि चिंता की बात है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ सोशल मीडिया पर ही यह समस्या है। कई दफा मेन स्ट्रीम मीडिया तक भ्रमित करने वाली खबरें दिखाते हैं। जो ठीक नहीं है। हमें स्वयं ही जागरूक होकर सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी के साथ करते हुए फेक न्यूज, ट्रोल्स, भड़काउ पोस्ट से बचना चाहिए।

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40 करोड़ वाट्सएप यूजर्स
मौजूदा समय में देश भर में सोशल मीडिया ने अपनी गहरी पैठ बना ली है। अब यह सिर्फ युवाओं तक हीं नहीं, बल्कि सभी उम्र के लोगों तक पहुंच चुका है। लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता सिर चढ़ कर बोल रही है। हम दिन में कई कई बार अपने मोबाइल पर सोशल मीडिया साइट्स को चेक करते हैं। वर्तमान समय में देश भर लगभग 40 करोड़ से ज्यादा लोग वाट्सएप (Whatsapp) का इस्तेमाल करते हैं। इसी प्रकार देश में फेसबुक (Facebook) के यूजर्स की संख्या भी 30 करोड़ के करीब है। इंस्टाग्राम यूज करने वालों की संख्या भी अब तेजी से बढ़ रही है। अबतक देश भर में इंस्टाग्राम (Instagram) पर लगभग 7 करोड़ यूजर्स हैं। इस साल तक देश भर में लगभग 63 करोड़ लोगों की पहुंच इंटरनेट तक हो जाएगी।

जागरूक होकर करें इस्तेमाल
ध्यान देने वाली बात है कि इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, अफवाह, चरित्र हनन और फर्जी खबरों की भरमार होती जा रही है। फर्जी सूचनाएं हम सभी को प्रभावित कर रही हैं। हमपर इसका प्रतिकूल असर भी पड़ रहा है। हाल ही में बच्चा चोरी जैसी फर्जी सूचनाओं ने देशभर में लोगों को परेशान किया। इसके चलते कई लोगों की पिटाई किए जाने से उनकी मौत भी हो गई। ये सब फेक न्यूज से होने वाली अराजक्ता के उदाहरण हैं। अब ऐसे में हमें उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले समय में हम स्वयं जागरूक होकर शोशल मीडिया का उपयोग करेंगे। साथ ही फेक न्यूज, ट्रोलिंग आदि जैसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस उपाए भी शीघ्र होने चाहिए।

गहरी पैठ
वाट्सएप        40 करोड़ यूजर्स
फेसबुक         30 करोड़ यूजर्स
इंस्टाग्राम        07 करोड यूजर्स







सोशल मीडिया किसे कहते हैं?
सोशल मीडिया क्या है और किसे कहते है? सोशल मीडिया वेबसाइटों और ऐप्लीकेशन की एक श्रेणी होती है। यह यूजर्स को सहूलियत के साथ वास्तविक समय में ही किसी भी कंटेंट को शेयर करने करने की अनुमति देने के लिए डिजाइन होता है। यहां सोशल (Social) से अभिप्राय है कि अन्य यूजर्स के साथ किसी सूचना को शेयर करना और उस संबंध में जानकारी प्राप्त करना और उनसे चर्चा करना। इसी प्रकार मीडिया (Media) से बातचीत या कम्यूनिकेशन के लिए उपयोग किया जाने वाला संसाधन, जैसे कि इंटरनेट। वहीं, टीवी, अखबार, रेडिया ये सभी टे्रडिशनल मीडिया के उदाहरण हैं। इन दोनों शब्दों सोशल और मीडिया को एक साथ रखकर सोशल मीडिया का परिभाषित कर सकते हैं। सोशल मीडिया वेब बेस्ड कम्यूनिकेशन टूल है। जो यूजर्स को आपस में जोड़े रखता है। साथ ही किसी भी जानकारी या सूचना को आपस में शेयर करने की अनुमति देता है।

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सोशल मीडिया, सोशल नेटवर्किंग?
बहुत से लोगों को इसका भ्रम होता है कि सोशल मीडिया (Social Media) और सोशल नेटवर्किंग (Social Networking) एक ही चीज हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों ही अलग-अलग हैं। वास्तव में सोशल नेटवर्किंग सोशल मीडिया का ही एक हिस्सा या सब कैटेगरी है। मीडिया और नेटवर्किंग को अलग अलग रखकर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा करने पर हमें इनके बीच के अंतर को समझमें में मदद मिलेगी। दरअसल यहां पर मीडिया (Media) से अभिप्राय किसी ऐसी सूचना (Information) या जानकारी से है, जिसे हम शेयर कर सकते हैं। जैसे- वीडियो, फोटो, पोस्ट, डाक्यूमेंट आदि। वहीं यहां पर नेटवर्किंग (Networking) से अभिप्राय आपकी आडिएंस से है। जैसे कि दोस्त, रिश्तेदार, उपभोक्ता और वे सभी लोग भी जो आपसे सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर इसे हम इस प्रकार कह सकते हैं कि, सोशल मीडिया के जरिए हम किसी भी मीडिया को अपने सोशल नेटवर्क के साथ कमेंट और लाइक पाने के लिए शेयर कर सकते हैं।

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