वृक्षारोपण महाकुंभः एक दिन में 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर उत्तर प्रदेश ने रच दिया कीर्तिमान

उत्तर प्रदेश ने शुक्रवार को एक कीर्तिमान रचा। एक दिन में 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए। यह पर्यावरण की दृष्टि से बहुत बड़ा कदम है। क्योंकि यूपी में पहले से ही वनों का क्षेत्रफल कम है। भूमि का ज्यादातर उपयोग खेती बाड़ी में किया जाता है। ऐसे में वनों के लिए बुहत कम ही जगह बचती है। जो वन बचे हुए हैं, वे भी कुछ गिने चुने जगहों पर पाए जाते हैं। प्रदेश का ज्यादातर भाग मैदानी है, जो फसलों के लिए उपयुक्त है। प्रदेश की गिनती सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाले राज्यों की श्रेणी होती है। लेकिन वनों के मामले में यह बेहद पिछड़ा है।

यहां कुल क्षेत्रफल के लगभग 7 प्रतिशत हिस्से में ही वन पाए जाते हैं। इसमें वन विभाग के अधीन एवं निजी वन भी शामिल हैं। इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि यहां वनों का क्षेत्रफल बढ़ाना कितना जरूरी है। देर से ही सही, लेकिन पौधरोपण को लेकर इस तरह के अभियान तो शुरू हुए। लेकिन हमें स्वयं की ओर से भी हर हाल में कोई न कोई पेड़ अवश्य ही लगाने चाहिए। बहरहाल, उत्तर प्रदेश ने शाम होते-होते पौधरोपण का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। अवसर भी खास था। भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ। इस मौके पर ये खास उपलब्धि काबिले गौर है।  


वन विभाग के पोर्टल पर लगातार पौधरोपण के आंकड़ें प्रदर्शित होते रहे। पोर्टल के मुताबिक शाम 4 बजे तक ही 20 करोड़ पौधे लगाए जा चुके थे। हकीकत में पौधे इससे भी ज्यादा लगाए गए होंगे, लेकिन पोर्टल पर अपडेट होने में थोड़ी बहुत देरी तो होती है। इस खास अभियान को वृक्षारोपण महाकुंभ का नाम दिया गया था, जो ठीक भी था। देर शाम 5 बजे तक ही 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगा दिए गए। इसके बाद भी आंकड़ों का आना जारी रहा। लगातार बढ़ते आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि प्रदेश भर में सरकारी महकमें से लेकर आम नागरिक तक पौधरोपण को लेकर कितने उत्साहित हैं। ऐसा होना भी चाहिए था। 






यही पौधे आगे चलकर हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर पर्यावास में रहने का अवसर देंगे। यही नहीं ये उन पक्षियों के लिए नायाब तोहफा बनेगा, जिनके आशियानों को हमने पेड़ों का काटकर या दोबारा पेड़ न लगाकर उजाड़े थे। पक्षियों से लेकर पशुओं तक के लिए भी यह आक्सीजन का काम करेगा। शर्त बस ये है कि पौधों की देखभाल सही से किया जाए। पौधे पेड़ बनते हैं तो वाकई में उत्तर प्रदेश को हरा भरा देखने का सपना साकार हो सकता है। क्योंकि अभी भी यह प्रदेश वनों के मामले में कम क्षेत्रफल वाले राज्यों में शुमार है। इस स्थिति को बदले के लिए ऐसे कई और अभियानों को चलाया जाना चाहिए। 

इसी तरह का अभियान कुछ साल पहले मध्यप्रदेश में भी चलाया गया था। रिर्काड पौधरोपण हुआ था। सरकारी कार्यालय परिसर, सरकारी खाली पड़े जमीनों, अस्पतालों, नदियों के किनारों सहित हर उस जगह पर पौधे लगाए गए, जहां पर लगाए जा सकते थे। पहाड़ियों पर भी खूब पौधे लगाए गए। लेकिन बाद में देखरेख में कई कमियां भी देखने को मिली। कई जगहों पर सिंचाई की व्यवस्था नहीं थी, तो कई जगहों पर सुरक्षा के इंतजाम नदारद थे। नतीजा यह हुआ कि बड़े पैमाने पर पौधे सूख गए या जनवरों द्वारा चर लिए गए। ऐसे में उत्तर प्रदेश में लगाए जा रहे पौधों को बचाना ही असली परीक्षा है। 

कई चुनौतियां पेड़ों के विकास में बाधा बनने को भी तत्पर रहेंगी, लेकिन इन्हें पार पाना होगा। हर एक पौधे को बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए। पौधरोपण के बाद अपना कार्य पूरा हुआ ऐसा नहीं सोचना चाहिए। असली कार्य तो अब करना है। पौधों को बचाकर। यह रिकार्ड तभी याद किया जाएगा, जब सभी पौधे पेड़ बन जाएंगे। ऐसा नहीं हुआ तो इस प्रकार के रिकार्ड हमेशा कोई न कोई बनाता रहेगा। लेकिन यह किसी काम का नहीं रहेगा। हमारे पास मौका है कि, अभियान के तहत हुए रिकार्ड पौधरोपण को सफल बनाने के लिए आने वाले वक्त में भी इन पौधो की सही से देखभाल की जाए। 






उत्तर प्रदेश का कुल क्षेत्रफल लगभग 24093 हजार हेक्टेयर है। साल 2015-16 के अभिलेखित क्षेत्रफल के अनुसार वनों का क्षेत्रफल 1658 हजार हेक्टयेर है। जो कि कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 6.88 प्रतिशत है। यह जानकर आपको अचरज होगा उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र 0.01 हेक्टेयर ही है। जो कि बेहद कम है। इसी तरह आच्छादित वनों का क्षेत्रफल 1446 हजार हेक्टेयर है, जो कुल भूमि क्षेत्रफल के 6 प्रतिशत ही है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर वनों के क्षेत्रफल का प्रतिशत 21.35 है। जो कि यूपी के वनाच्छादित क्षेत्रफल के प्रतिशत 6.88 से बहुत ज्यादा है। 

बता दें, देश भर में वनों का क्षेत्रफल लगभग 701673 वर्ग किलोमीटर है, जबकि उत्तर प्रदेश में कुल वनों का क्षेत्रफल 16662 वर्ग किलो मीटर के करीब है। यूपी में सधन वन कुल वन क्षेत्रफल की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत हैं, जो कि 6255 वर्ग किलो मीटर है। जबकि 10 से 40 फीसदी तक खुला वन क्षेत्र है, जो 8202 वर्ग किलो मीटर है। यह भी जान लें कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वनों के क्षेत्रफल सहित भूमि के सापेक्ष सबसे ज्यादा वनों का प्रतिशतता पूर्वी यूपी में है। इसी क्रम में सेंट्रल यूपी में सबसे कम वन क्षेत्र हैं और पश्चिमी यूपी में सबसे कम वन प्रतिशतता है। ये आंकड़े उत्तर प्रदेश वन विभाग के पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं। 

बहरहाल, वृक्षारोपण महाकुंभ के तहत शाम 5 बजे तक उत्तर प्रदेश ने नया कीर्तिमान रच दिया। 22 करोड़ पौधरोपण के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया। लेकिन बात यहीं नहीं रुकी। देर शाम तक वन विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध 22 करोड़ प्लांटेशन पेज पर आंकड़े बढ़ते ही रहे। जो शाम 5 बजकर 20 मिनट तक 22 करोड़ 29 लाख से ज्यादा पौधरोपण को दर्शा रहा था। साथ में आंकड़ों में लगातार इजाफा होना भी जारी रहा। भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर वृक्षारोपण महाकुंभ के तहत एक दिन में 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य पूरा कर उत्तर प्रदेश में नया कीर्तिमान रच दिया गया है। पर्यावरण से लगाव रखने वालों को बहुत बहुत बधाई।

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