आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए क्या है

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐलान हो गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो गया है। कई लोगों के मन में ये सवाल आता होगा कि अनुच्छेद 370 है क्या? साथ ही आर्टिकल 35ए को लेकर भी जिज्ञासा बनी रहती है।

भारतीय संविधान के आर्टिकल एक के तहत जम्मू और कश्मीर भारतीय संघ का एक संवैधानिक राज्य है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 370 में इसे एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। इसके मुताबिक इंडिया कान्स्टीट्युशन के सभी उपबंध इसपर लागू नहीं होंगे। जम्मू और कश्मीर भारतीय संघ का इकलौता ऐसा राज्य है, जिसका अपना अलग राज्य संविधान है।
  

आर्टिकल 370 क्या है
इंडियन कांस्टीट्युशन का आर्टिकल 370 एक अस्थाई प्रावधान है। यह जम्मू एवं कश्मीर को विशेष स्वायत दर्जा देता है। भारत के संविधान के भाग 21 के तहत जो अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेश प्रावधानों से संबंधित है। जम्मू कश्मीर राज्य को अनुच्छेद 370 के तहत विशेश दर्जा दिया गया है। संविधान के सभी प्रावधान जो अन्य राज्यों पर लागू हैं। वे जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं हैं। 






जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय
20 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर के अग्र भाग पर पाक समर्थित आजाद कश्मीर सेना ने हमला बोल दिया। तब राज्य के शासक ने राज्य को भारत में विलय करने का फेसला लिया। पं. जवाहर लाल नेहरू और जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके मुताबिक जम्मू और कश्मीर ने तीन विषयों पर ही अपना अधिकार छोड़ा। इनमें रक्षा, विदेश मामले और संचार शामिल हैं।  इसके बाद भारत सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि इस राज्य के नागरिक अपने खुद के संविधान द्वारा राज्य के आंतरिक संविधान और राज्य पर भारतीय संघ के अधिकार क्षेत्र की प्रकृति और प्रसार को तय करेंगे। और राज्य विधान सभा के फेसेले तक भारत का संविधान राज्य के संबंध में सिर्फ अंतरिम व्यवस्था कर सकता है। इस आश्वासन के फलस्वरूप भारत के संविधान में अनुच्छेद 370 को शामिल किया गया। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि जम्मू और कश्मीर से संबंधित राज्य उपबंध सिर्फ अस्थाई है स्थाई नहीं। यह 17 नवंबर 1952 को संचालित हुआ। 

अनुच्छेद 35ए क्या है
अनुच्छेद 35ए जम्मू और कश्मीर के संविधान को ये अधिकार देता है कि वे अपने यहां स्थाई नागरिकता को डिफाइन करे। दूसरी चीज अनुच्छेद 35-ए ये करता है कि वे जम्मू और कश्मीर अपने स्थाई निवासियों को कोई विशेष अधिकार देता है या भारत के अन्य नागरिकों के अधिकार छीनता है तो इन कानूनों को इस आधार पर निरस्त नहीं किया जा सकता कि वो संविधान के फंडामेंटल राइट्स के खिलाफ है। अनुच्छेद 35ए राज्य के स्थाई नागरिकता डिफाइन के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य में रहने वाले स्थाई नागरिकों को ही राज्य में नौकरी, राज्य में कोई भी अचल संपत्ति सिर्फ राज्य परमानेंट निवासी ही खरीद सकता है। इसी प्रकार राज्य में बसने का अधिकारी भी सिर्फ स्थाई नागरिकों को ही होगी। राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं भी सिर्फ स्थाई नागरिकता रखने वालों को ही मिलेगी। अस्थाई नागरिकता वाले लोगों को राज्य सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलेगी। इससे लाखों लोग फंडामेंटल राइट से वंचित हो गए। गौरतलब है कि फंडामेंटल राइट का विवरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक में हैं। 






यह भी जानें...
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 तीन भागों है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 370(1) अभी बरकरार है। 370 (2) और (3) को हटाया गया है। गौरतलब है कि, 370(1) में प्रावधान है कि जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह करके राष्ट्रपति आदेश द्वारा संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू कर सकते हैं। इसी तरह 370(3) में यह प्रावधान था कि अनुच्छेद 370 को बदलने के लिए जम्मू और कश्मीर संविधान सभा की सहमति चाहिए।

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