अचानक बदल गई इस मजार की दिशा! कोई नहीं बता सका है दिशा का रहस्य

-रेलवे याॅर्ड का अनोखा और रहस्यमयी मजार, दिशा उत्तर दक्षिण की बजाए पूर्व से पश्चिम
-अबतक कोई नहीं बता सका है दिशा का रहस्य, रेल पटरियों के बीच मौजूद़ खास दरगाह
-दरगाह की देखभाल करने वाले बाबा ने बताईं मजार के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां
-पूर्व से पश्चिम की ओर है इस मजार की दिशा! कोई नहीं बता सका है दिशा का रहस्य

कानपुर उत्तर प्रदे़श़़ के रेलवे यार्ड में स्थित एक मजार (कब्र) की दिशा अन्य मजारों की तुलना में एक दम विपरीत है। लेकिन अभी तक इसपर किसी ने गौर नहीं किया। यहां प्रतिदिन कई अकीदतमंद हाजिरी देने पहुंचते हैं। लेकिन मजार की इस दुलर्भ स्थिति व दिशा को लेकर कभी किसी ने गौर नहीं किया। या यूं कहें कि कभी किसी ने कोई खास ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि मजार की दिशा आमतौर पर उत्तर से दक्षिण की ओर होती है। लेकिन इसकी दिशा ऐसी न होकर पूर्व से पश्चिम की ओर मालूम पड़ती है। ऐसा क्यों है, अबतक इसपर रहस्य बरकरार है।



कानपुर सेंट्ऱल रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर घंटाघर के पास स्थित सीपीसी रेलवे काॅ़लोनी में वर्षाें पुराना माल गोदाम है। यहां पर रेलवे का काफी बड़ा गोदाम है, जहां पर प्रतिदिन माल गाडि़यों से विभिन्न सामग्रियों की आवक होती है। दिनभर यहां सामान ढोने वाले बड़े व भारी वाहनों का़ आवागमन होता रहता है। इसी गोदाम परिसर में रेलवे ट्रैक के करीब ही एक दरगाह बना हुआ है। वर्तमान में इस दरगाह को सैय्यद लाइन शाह बाबा के मजाऱ़़ के नाम से जाना जाता है। जो तीन तरफ से रेलवे पटरी से और एक तरफ से घनी झाडि़यों से घिरा हुआ है। 



अक्सर इसके आस पास दिनभर लोगों का आना जाना बना रहता है। लेकिन अभी तक कम ही लोगों ने इस दरगाह के अंदर स्थित लाइन शाह बाबा के मजार की दिशा पर गौर किया होगा। हालांकि कब और क्यों मजार की दिशा ऐसी हो गई। या शुरू से ही ऐसा था। इसको लेकर कोई खास जानकारी किसी के पास नहीं हैं। कई लोगों का कहना है कि कब्र पर मजार का निर्माण बाद में किया गया होगा। निर्माण के दौरान दिशा को लेकर भ्रम होने के कारण ऐसा हो सकता है। 

यहां हर रोज अकीदतमंद पहुंचते हैं। बाबा की जियारत करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। अगरबत्ती व फूलों की खुशबू से दरगाह परिसर गुलजार रहता है। दिनभर चहल पहल और माल गाडि़यों की आवाजाही के बीच इधर से गुजरने वाले लोग बाबा की जियारत कर ही आगे बढ़ते हैं। लोग यहां अपने दुख दर्द लेकर पहुंचते है और बाबा से मन्नतें भी मांगते हैं। मुरादें पूरी होने पर यहां लौटकर मन्नते उतारतें हैं। दुआओं के साथ फातेहाख्वानी यहां अक्सर चलता रहता हैं। ऐसा माना जाता है कि बाबा की जियारत करने वालों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। सभी वर्गाें में बाबा के प्रति आस्था है। रेल परिसर में होने के चलते यहां के रेल कर्मचारी भी बाबा के प्रति आस्था रखते हैं। 


दरगाह की खिदमत करने वाले बाबा बताते हैं कि वह ढाई वर्ष से यहां पर अपनी सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि दरगाह में मौजूद मजार सैय्यद लाइन शाह बाबा का है। इनके कुनबे के लोग आज भी दिल्ली के करीब रहते हैं। अभी भी दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों से लोग यहां जियारत के लिए पहुंचते है। स्थानीय स्तर पर रेलवे काॅलोनी व आसपास के क्षेत्रों में बाबा के प्रति आस्था रखने वालों की बड़ी संख्या है। अकीदतमंदों की मदद से ही बाबा के़ दरगाह को नया रूप प्रदान किया गया है। बहुत वर्षाें पहले यह दरगाह काफी पुराना व जर्जर अवस्था में था।  

बाबा ने बताया कि मजार की दिशा उत्तर दक्षिण की बजाए पूर्व से पश्चिम की ओर है। कहा कि, जहां तक उन्हें मालूम है, मजार की ये खास दिशा शुरू से ही ऐसा था। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। मजार की इस खास दिशा के चलते यहां आने वाले लोग अक्सर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। पर कोई खास जानकारी उन्हें नहीं मिल पाती है। लाइन शाह बाबा के प्रति आस्था रखने वाले लोग मजार की इस खास अवस्था को एक करिश्मा ही समझते हैं। इसको लेकर अकीदतमंदों एवं आसपास के लोगों के मन में हमेशा कौतुहल बना रहता है।

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